पत्थर का ना बना कर शीशे का बनाया होता..

खुदा…… तूने दिल को 
पत्थर का ना बना कर शीशे का बनाया होता.. 
तो तोड़ने वाले को कम से कम जख्म टू आया होता..
जो विठा दिया हैं यहाँ तनहा मुझे..
उसे भी कम से कम दर्द का एहसास तो दिलाया होता

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