प्यार वो हम को बेपनाह कर गये , प्यार वो हम को बेपनाह कर गये फिर ज़िनदगीं में हम को , तन्नहा कर गये , चाहत थी उनके इश्क में , फ़नाह होने की , पर वो लौट कर आने को , भी मना कर गये..
शिकायत है उन्हें कि , हमें मोहब्बत करना नही आता , शिकायत है उन्हें कि , हमें मोहब्बत करना नही आता , शिकवा तो इस दिल को भी है , पर इसे शिकायत करना नहीं आता
दोस्ती उन से करो जो निभाना जानते हो , दोस्ती उन से करो जो निभाना जानते हो , नफ़रत उन से करो जो भूलना जानते हो , ग़ुस्सा उन से करो जो मानना जनता हो , प्यार उनसे करो जो दिल लुटाना जनता हो
बहुत खूब सूरत है आखै तुम्हारी बहुत खूब सूरत है आखै तुम्हारी इन्हें बना दो किस्मत हमारी हमें नहीं चाहिये ज़माने की खुशियाँ अगर मिल जाये मोहब्बत तुम्हारी
ए दोस्त तेरी दोस्ती ये नाज करते है “ ए दोस्त तेरी दोस्ती ये नाज करते है हर बकत मिलने की फरियाद करते है हमें नही पता घरवाले बताते है के हम नीदं में भी आपके बात करते हैं ”