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जनवरी, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ज़िंदगी में

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ज़िंदगी में कभी तो बन कर आ जाओ ना मेहमान – ज़िंदगी में I कुछ न बचेगा प्यार के सिवा मेरी जान – ज़िंदगी में I बड़ी मुश्किलों से मिलती है कोई पहचान – ज़िंदगी में I खो न देना अपने हंसी चेहरे की मुस्कान – ज़िंदगी में II दोस्ती का दम भरेंगे, दुश्मनी का जाल बिछाकर ये बैरी, पल पल, पग पग मिलेंगे तुम्हे शैतान – ज़िंदगी में I कौन करता याद उस नीली छतरी वाले को जनाब, जो हो जाते हुजूर सभी के पुरे अरमान – ज़िंदगी में I हम तो कलम के हैं सिपाही सच की भाषा बोलेंगे, माँ शारदे का मिला है यही तो वरदान – ज़िंदगी में I ये मक्कारी, शानो-शौकत, ये तेरा-मेरा, जैसे भी हो, हर कोई चाहता है, एक मुट्ठी आसमान – ज़िंदगी में I रास्ते कठिन हैं तो क्या, हिम्मत करो आगे बढ़ो, ज़िंदगी को न समझो यूँ ही आसान – ज़िंदगी में I बातों को दिल से लगाना छोड़ो, जी लो ख़ुशी से, मत हुआ करो छोटी-छोटी बातों से परेशान – ज़िंदगी में I लम्बी है कहानी प्यार की, जो मिलोगे सुनायेंगे कभी, बनती बिगड़ती रहती हैं तकदीरों की दास्तान – ज़िंदगी में I ज़िंदगी से खफा खफा रहते हो क्यूँ इस कदर तुम, मौत कर देगी आकर किसी

हो तो सही

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हो तो सही हम पर कोई निसार हो तो सही I मोहब्बत का इज़हार हो तो सही I जां लुटाना चाहते हैं हम इश्क में, मगर पहले प्यार हो तो सही I मत भी ले लो बहुमत भी लो, नेता इमानदार हो तो सही I जाऊँगा हाल पड़ौसी का पूछने, उसका भी बंटाधार हो तो सही I सात पर्दों में कैद कर लिया, उनका ज़रा दीदार हो तो सही I दे, तो फिर लेकर दिखा दे, एक बार उधार हो तो सही I सब इमानदार हों तो बाँटू लड्डू, मेरा सपना साकार हो तो सही I तस्वीर बना दूँ बहते पानी में, सामने निराकार हो तो सही I गले लगा लूँ दुश्मन को भी दोस्तों में शुमार हो तो सही I खुशियाँ समेटना चाहता हूँ मैं, गम का दरिया पार हो तो सही I आंधियां उतावली हैं “चरन” बागों में बहार हो तो सही I

ज़िंदगी में

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ज़िंदगी में कभी तो बन कर आ जाओ ना मेहमान – ज़िंदगी में I कुछ न बचेगा प्यार के सिवा मेरी जान – ज़िंदगी में I बड़ी मुश्किलों से मिलती है कोई पहचान – ज़िंदगी में I खो न देना अपने हंसी चेहरे की मुस्कान – ज़िंदगी में II दोस्ती का दम भरेंगे, दुश्मनी का जाल बिछाकर ये बैरी, पल पल, पग पग मिलेंगे तुम्हे शैतान – ज़िंदगी में I कौन करता याद उस नीली छतरी वाले को जनाब, जो हो जाते हुजूर सभी के पुरे अरमान – ज़िंदगी में I हम तो कलम के हैं सिपाही सच की भाषा बोलेंगे, माँ शारदे का मिला है यही तो वरदान – ज़िंदगी में I ये मक्कारी, शानो-शौकत, ये तेरा-मेरा, जैसे भी हो, हर कोई चाहता है, एक मुट्ठी आसमान – ज़िंदगी में I रास्ते कठिन हैं तो क्या, हिम्मत करो आगे बढ़ो, ज़िंदगी को न समझो यूँ ही आसान – ज़िंदगी में I बातों को दिल से लगाना छोड़ो, जी लो ख़ुशी से, मत हुआ करो छोटी-छोटी बातों से परेशान – ज़िंदगी में I लम्बी है कहानी प्यार की, जो मिलोगे सुनायेंगे कभी, बनती बिगड़ती रहती हैं तकदीरों की दास्तान – ज़िंदगी में I ज़िंदगी से खफा खफा रहते हो क्यूँ इस कदर तुम, मौत कर देगी आकर किसी

मेरी ज़िंदगी का किस्सा नया है- शायरी

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मेरी ज़िंदगी का किस्सा नया है- शायरी   1)मेरी ज़िंदगी का किस्सा नया है, शायद मेरे चश्मे का नंबर नया है ।। जो कहते हैं समंदर में पानी भरा है, शायद उनके लिए तालाब नया है ।। 2)वक़्त आँखों से जब नींदे चुरा लेता है, दर्द आँखों में घरोंदा बना लेता है । ज़ख्म यादों के सिरहाने बैठ जाता है , माँ की गोद तन्हाई को बना लेता है।। 3)मेरे ख्वाबों का अख्ज है तू, मेरी रूह का ज़ख्म है तू, कभी मुस्कान हुआ करती थी मैं, आज मेरी हर दर्द भरी नज़्म है तू ।। विक्रमसिंह नेगी भुलाना भी चाहें भुला न सकेंगे किसी और को दिल में ला न सकेंगे.....   भरोसा अगर वो न चाहें तो उन को कभी प्यार का हम दिला न सकेंगे.......   वादा निभायेंगे, वो जानते हैं कसम हम को झूठी खिला न सकेंगे......   क्यों आते नहीं वो है मालूम हम को नज़र हम से अब वो मिला न सकेंगे......   ज़ोर-ए-नशा-ए-निगाह अब नहीं है मय वो नज़र से पिला न सकेंगे............   हकीकत से अपनी वो वाकिफ़ हैं खुद ही कर हम से अब वो गिला न सकेंगे........   ********************

लौट जाती है दुनिया गम हमारा देखकर

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प्यार वो हम को, बेपनाह कर गये, फिर ज़िनदगीं में हम को, तन्नहा कर गये, चाहत थी उनके इश्क में, फ़नाह होने की, पर वो लौट कर आने को, भी मना कर गये..... लौट जाती है दुनिया गम हमारा देखकर, जैसे लौट जाती हैं लेहरें किनारा देखकर, तू कान्धा न देना मेरे जानाज़े को ऐ दोस्त, कही फ़िर जिंदा न हो जाऊं तेरा सहारा देख कर.

अरे हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहाँ दम था

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अरे हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहाँ दम था. मेरी हड्डी वहाँ टूटी, जहाँ हॉस्पिटल बन्द था. मुझे डॉक्टरों ने उठाया, नर्सों में कहाँ दम था. मुझे जिस बेड पर लेटाया, उसके नीचे बम था न रास्ता सुझाई देता है, न मंजिल दिखाई देती है, न लफ्ज़ जुबां पर आते हैं, न धड़कन सुनाई देती है, एक अजीब सी कैफियत ने आन घेरा है मुझे, की हर सूरत में, तेरी सूरत दिखाई देती है..

बड़ी कोशिश के बाद उन्हें भूला दिया!

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बड़ी कोशिश के बाद उन्हें भूला दिया!  उनकी यादों को दिल से मिटा दिया! एक दिन फिर उनका पैगाम आया लिखा था  मुझे भूल जाओ!  और मुझे भूला हुआ हर लम्हा याद दिला दिया! मुझे तो बम से उड़ाया, गोली में कहाँ दम था. और मुझे सड़क में दफनाया, क्योंकि कब्रिस्तान में फंक्शन था | मुझे जिस एम्बुलेन्स में डाला, उसका पेट्रोल ख़त्म था. मुझे रिक्शे में इसलिए बैठाया, क्योंकि उसका किराया कम था.

जिंदगी भर दर्द से जीते रहे

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जिंदगी भर दर्द से जीते रहे .. दरिया पास था आंसुओं को पीते रहे..  कई बार सोंचा कह दू हाल-ए-दिल उससे.. पर न जाने क्यूँ हम होंठो को सीते रहे.. हर तरफ खामोशी का साया है,  जिसे चाहते थे हम वो अब पराया है, गिर पङे है हम मोहब्बत की भुख से,  और लोग कहते है की पीकर आया है

जख्म जब मेरे सीने के भर जायेंगें

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जख्म जब मेरे सीने के भर जायेंगें ….  आसूं भी मोती बन कर बिखर जायेंगें ….  ये मत पूछना किस-किस ने धोखा दिया ….  वर्ना कुछ अपनों के चेहरे उतर जायेंगें लम्हों की खुली किताब हैं ज़िन्दगी ….  ख्यालों और सांसों का हिसाब हैं ज़िन्दगी ….  कुछ ज़रूरतें पूरी ,कुछ ख्वाहिशें अधूरी …..  इन्ही सवालों के जवाब हैं ज़िन्दगी

काश फिर वो मिलने कि वजह मिल जाएँ

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काश फिर वो मिलने कि वजह मिल जाएँ … साथ वो बिताया , वो पल मिल जाये  चलो अपनी अपनी आँखें बंद कर लें  क्या पता खाव्बों मैं गुजरा हुआ कल मिल जाएँ अपनी बेबसी पर आज रोना सा आया !  दूसरों को नहीं मैंने आपको को आज़माया !!  हर दोस्त की तन्हाई दूर की मैंने !  मगर खुद को हर मोड़ पैर तनहा ही पाया !!!

अपने लफ़्ज़ों से चुकाया है किराया इसका,

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अपने लफ़्ज़ों से चुकाया है किराया इसका,  दिलों के दरमियां यूँ मुफ्त में नहीं रहती,  साल दर साल मै ही उम्र न देता इसको,  तो ज़माने में मोहब्बत जवां नहीं रहती… काश फिर वो मिलने कि वजह मिल जाएँ … साथ वो बिताया , वो पल मिल जाये  चलो अपनी अपनी आँखें बंद कर लें  क्या पता खाव्बों मैं गुजरा हुआ कल मिल जाएँ

किसी के दिल में बसना कुछ बुरा तो नही;

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किसी के दिल में बसना कुछ बुरा तो नही;  किसी को दिल में बसाना कोई खता तो नही;  गुनाह हो यह ज़माने की नजर में तो क्या;  यह ज़माने वाले कोई खुदा तो नही! ज़िन्दगी हसीन है , ज़िन्दगी से प्यार करो …..  हो रात तो सुबह का इंतज़ार करो …..  वो पल भी आएगा, जिस पल का इंतज़ार हैं आपको….  बस रब पर भरोसा और वक़्त पे ऐतबार करो 

हमने ये शाम चराग़ों से सजा रक्खी है;

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हमने ये शाम चराग़ों से सजा रक्खी है;  आपके इंतजार में पलके बिछा रखी हैं;  हवा टकरा रही है शमा से बार-बार; और  हमने शर्त इन हवाओं से लगा रक्खी है। मर जाऊं मैं अगर तो आंसू मत बहाना…………  बस कफ़न की जगह अपना दुपट्टा चढ़ा देना …..  कोई पूछे की रोग क्या था …………?  तो सर झुका कर मोहब्बत बता देना … …

नींद आई तो तेरी याद ने सोने न दिया!

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  सदियों से जागी आँखों को एक बार सुलाने आ जाओ ; माना कि तुमको प्यार नहीं, नफ़रत ही जताने आ जाओ;  जिस मोड़ पे हमको छोड़ गए हम बैठे अब तक सोच रहे;  क्या भूल हुई क्यों जुदा हुए, बस यह समझाने आ जाओ। गम ने हसने न दिया,  ज़माने ने रोने न दिया!  इस उलझन ने चैन से जीने न दिया!  थक के जब सितारों से पनाह ली!  नींद आई तो तेरी याद ने सोने न दिया!

पप्पू की होशियारी!

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पप्पू की होशियारी! टीचर: नेपोलियन की मृत्यु किस लड़ाई में हुई? पप्पू: उसकी आखिरी लड़ाई में।  टीचर: स्वतंत्रता की घोषणा पर कहाँ हस्ताक्षर किये गए? पप्पू: किताब के पृष्ठ के आखिर में। टीचर: तलाक का मुख्य कारण क्या होता है? पप्पू: शादी। टीचर: असफल होने का मुख्य कारण क्या है? पप्पू: परीक्षा। टीचर: आप ब्रेकफास्ट में क्या नही खा सकते? पप्पू: लंच और डिनर। टीचर: आधे सेब की तरह क्या दिखता है? पप्पू: दूसरा आधा सेब। टीचर: अगर आप नीले समुंद्र में लाल पत्थर फेंकेंगे तो ये कैसा हो जायेगा? पप्पू: यह गीला हो जायेगा। टीचर: कोई आदमी आठ दिन तक बिना सोये कैसे रह सकता है? पप्पू: कोई समस्या नही है, वह रात को सो जायेगा। टीचर: तुम एक हाथी को एक हाथ से कैसे उठा सकते हो? पप्पू: आपको ऐसा हाथी ही नही मिलेगा जिसका एक ही हाथ हो। टीचर: अगर एक दीवार को आठ आदमी दस घंटे में बनाते है तो चार आदमी को इस दीवार को बनाने में कितना समय लगेगा? पप्पू: थोड़ा भी नही, क्योंकि दीवार तो पहले ही बन चुकी है।
सुभ प्रभातम **सभि दोस्तो और दुस्मनो को सुभ प्रभात**** कहां से लायें वो शब्द, जो आपके दिल को छु जाये, कैसे मिले हम आपसे एक पल मे, कि आपको हजार पल कि खुशियां दे जाये..!!

बड़ा बेचैन होता जा रहा हूं, न जाने क्यूं नहीं लिख पा रहा हूं

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बड़ा बेचैन होता जा रहा हूं, न जाने क्यूं नहीं लिख पा रहा हूं तुम्हे ये भी लिखूं वो भी बताऊं, मगर अल्फ़ाज़ ढूंढे जा रहा हूं मोहब्बत का यही आ़गाज़ होगा, जिधर देखूं तुम्ही को पा रहा हूं कभी सूखी ज़मीं हस्ती थी मेरी, ज़रा देखो मैं बरसा जा रहा हूं किसी दिन इत्तेफ़ाकन ही मिलेंगे, पुराने ख्वाब हैं दोहरा रहा हूं मुझे आगोश में ले लो हवाओं, गुलों से बोतलों में जा रहा हूं शरारत का नया अंदाज़ होगा, मैं शायद बेवजह घबरा रहा हूं किसे परवाह है अब मंज़िलों की, मोहब्बत के सफ़र पर जा रहा हूं दिलों की नाज़ुकी समझे हैं कब वो, दिमागों को मगर समझा रहा हूं शब-ए-फ़ुरकत की बेबस हिचकियों से, तसल्ली है कि मैं याद आ रहा हूं मोहब्बत थी कहां हिस्से में , गज़ल से यूं ही दिल बहला रहा हूं..

तुम ज़िदगी ना सही दोस्त बनकर तो ज़िदगी मे आओ

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तुम ज़िदगी ना सही दोस्त बनकर तो ज़िदगी मे आओ तुम हसी ना सही मुसकान बनकर तो ज़िदगी मे आओ। तुम हकीकत ना सही खयाल बनकर तो ज़िदगी मे आओ तुम नज़र ना सही याद बनकर तो ज़िदगी मे आओ। तुम दिल ना सही धड़कन बनकर तो ज़िदगी मे आओ तुम गज़ल ना सही सायरी बनकर तो ज़िदगी मे आओ। तुम खुशिया ना सही गम बनकर तो ज़िदगी मे आओ तुम पास ना सही एहसस बनकर तो ज़िदगी मे आओ। तुम कल ना सही आज बनकर तो ज़िदगी मे आओ तुम ज़िदगी ना सही दोस्त बनकर तो ज़िदगी मे आओ...

यादों की किम्मत वो क्या जाने

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यादों की किम्मत वो क्या जाने, जो ख़ुद यादों के मिटा दिए करते हैं, यादों का मतलब तो उनसे पूछो जो, यादों के सहारे जिया करते हैं...

न रास्ता सुझाई देता है

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न रास्ता सुझाई देता है, न मंजिल दिखाई देती है, न लफ्ज़ जुबां पर आते हैं, न धड़कन सुनाई देती है, एक अजीब सी कैफियत ने आन घेरा है मुझे, की हर सूरत में, तेरी सूरत दिखाई देती है...

huda Se Kya Maangun Tere Vaaste

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huda Se Kya Maangun Tere Vaaste Sada Khushiyon Se Bhare Ho Tere Raaste Hansi Tere Chahre Par Rahe Is Tarah Khushboo Phool Ke Saath Rahe Jis Tarah.

Jahan Yaad Naa Aaye Wo Tanhai Kis Kaam Ki

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Jahan Yaad Naa Aaye Wo Tanhai Kis Kaam Ki Bigde Rishte Na Bane To Khudai Kis Kaam Ki Beshak Apni Manzil Tak Jaana Hai Par Jahan Se Apne Naa Dikhe Wo unchaai Kis Kaam Ki.

Apni Zindagi Ke Alag Usool Hain

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Apni Zindagi Ke Alag Usool Hain Yaar Ki Khaatir To Kaantein Bhi Kabool Hain Hans Kar Chal Doon Kaanch Ke Tukdon Par Bhi Agar Yaar Kahe Ye Mere Bichaaye Hue Phool hai.

Paane Se Khone Ka Maza Kuch Aur Hai

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Paane Se Khone Ka Maza Kuch Aur Hai Band Aankhon Mein Rone Ka Maza Kuch Aur Hai Aansoo Bane Lafz Aur Lafz Bane Ghazal Aur Us Ghazal Mein Tere Hone Ka Maza Kuch Aur Hai.

Dosto arj kiya hai.

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Dosto arj kiya hai. Bina Dard Ke Aansoo Bahaye Nahi Jaate Bina Pyaar Ke Rishte Nibhaaye Nahi Jaate Zindagi Mein Ek Baat Yaad Rakhna Kisi Ko Rulakar Apne Sapne Saaaye Nahi Jaate

Teri Aarzoo Mera Khwaab Hai

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Teri Aarzoo Mera Khwaab Hai Jiska Raasta Bahut Kharaab Hai Mere Jakhm Ka Andaaza Mat Laga Dil Ka Har Parda Dard Ki Kitaab Hai

Dhokha Diya Tha Tumne Mujhe

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Dhokha Diya Tha Tumne Mujhe Jab Dil Se Main Naraaj Tha Fir Socha Ki Dil Se Tumhe Nikaal Doon Magar Wah Kambhaqt Dil Bhi Tumhare Paas Tha.

Dhaar Ke Vipreet Jakar Dekhiye

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Dhaar Ke Vipreet Jakar Dekhiye Zindagi Ko Aajma Kar Dekhiye Aandhiyan Khud Mod Legi Raasta Ek Deepak To Jalakar Dekhiye.

Rang Dikhaati Hain Ye Zindagi Kitne

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Rang Dikhaati Hain Ye Zindagi Kitne Gaer Bhi Ho Jaate Hain Ik Pal Mein Apne Naa Jaane Kabhi Sapnon Ki Duniya Mein Toot Jaata Hai Dil, Tootte Hain Jab Sapne.

एक वादा था मेरा हर वादे के पीछे

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एक वादा था मेरा हर वादे के पीछे, मैं मिलूंगी तुझे हर दरवाज़े के पीछे, पर तुने ही मूड़ के न देखा, एक और जनाज़ा था तेरे जनाज़े के पीछे...... 21 people reached

न रास्ता सुझाई देता है, न मंजिल दिखाई देती है,

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न रास्ता सुझाई देता है, न मंजिल दिखाई देती है, न लफ्ज़ जुबां पर आते हैं, न धड़कन सुनाई देती है, एक अजीब सी कैफियत ने आन घेरा है मुझे, की हर सूरत में, तेरी सूरत दिखाई देती है...