हमने ये शाम चराग़ों से सजा रक्खी है;

हमने ये शाम चराग़ों से सजा रक्खी है; 
आपके इंतजार में पलके बिछा रखी हैं; 
हवा टकरा रही है शमा से बार-बार; और 
हमने शर्त इन हवाओं से लगा रक्खी है।



मर जाऊं मैं अगर तो आंसू मत बहाना………… 
बस कफ़न की जगह अपना दुपट्टा चढ़ा देना ….. 
कोई पूछे की रोग क्या था …………? 
तो सर झुका कर मोहब्बत बता देना …


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