लौट जाती है दुनिया गम हमारा देखकर

प्यार वो हम को,
बेपनाह कर गये,
फिर ज़िनदगीं में हम को,
तन्नहा कर गये,
चाहत थी उनके इश्क में,
फ़नाह होने की,
पर वो लौट कर आने को,
भी मना कर गये.....



लौट जाती है दुनिया गम हमारा देखकर,
जैसे लौट जाती हैं लेहरें किनारा देखकर,
तू कान्धा न देना मेरे जानाज़े को ऐ दोस्त,
कही फ़िर जिंदा न हो जाऊं तेरा सहारा देख कर.


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