चारपाई पे बैठी तन्हाई
चारपाई पे बैठी तन्हाई
मेघदूत को भिजवा देता
पर शहर तो तेरा मेघत्रस्त है |
विद्युत संवाद किये देता हूँ
दूरभाष वालों को तो आज दस्त है |
पर शहर तो तेरा मेघत्रस्त है |
विद्युत संवाद किये देता हूँ
दूरभाष वालों को तो आज दस्त है |
ये सन्देश मिले उस रूपसी को
जो मेरी बिन्दङी सी दिखती हो |
ग़र दिखे वो बिन्दङी सी मेरी
आँखों में मेरी ही तस्वीर दिखती हो |
जो मेरी बिन्दङी सी दिखती हो |
ग़र दिखे वो बिन्दङी सी मेरी
आँखों में मेरी ही तस्वीर दिखती हो |
पढ़ लेवें वो भी जो
मेरी प्रेयसी के सगे लगते हैं |
प्रिया के मुंह से मेरे क़िस्से
सुनकर जो दुःख में भी चहकते हैं |
मेरी प्रेयसी के सगे लगते हैं |
प्रिया के मुंह से मेरे क़िस्से
सुनकर जो दुःख में भी चहकते हैं |
विषय न जानूँ अये किन्नू
क्या लिखूं इस पैग़ाम का |
इसे समझ लेना आंगन में मेरे
नेह -निमंत्रण तेरी यादों की बारात का |
क्या लिखूं इस पैग़ाम का |
इसे समझ लेना आंगन में मेरे
नेह -निमंत्रण तेरी यादों की बारात का |
तुम न हो तो आँगन में
कोई चारपाई पे बैठी रहती है |
कहती है तेरी याद है
पर वो तन्हाई सी दिखती है |
कोई चारपाई पे बैठी रहती है |
कहती है तेरी याद है
पर वो तन्हाई सी दिखती है |
वो ख़िज़ायें वो बहारें
जो उसने तुझे दिखाई है |
सब झूठे हैं ऐसा कहके
मुझे वो हर शु बहुत चिढाती है |
जो उसने तुझे दिखाई है |
सब झूठे हैं ऐसा कहके
मुझे वो हर शु बहुत चिढाती है |
करके याद तेरी बातों को
जब मैं बे-बात ही हँसता हूँ |
दीवाना हो कहके वो श्यामा
बड़ी ज़ोर से ठिठकती है |
जब मैं बे-बात ही हँसता हूँ |
दीवाना हो कहके वो श्यामा
बड़ी ज़ोर से ठिठकती है |
अपनी शोख़ी और अदा से
मुझे बहुत रिझाती है |
तारीफ़ में तेरी सुख़न सुनाकर
मैं भी बहुत जलाता हूँ |
मुझे बहुत रिझाती है |
तारीफ़ में तेरी सुख़न सुनाकर
मैं भी बहुत जलाता हूँ |
लाख करे कोशिश वो
लेकिन उसकी शोख़ी में ना आऊंगा |
तुम ना डरना हे प्रिये
हमेशा तेरे ही गीत मैं गाऊंगा |
लेकिन उसकी शोख़ी में ना आऊंगा |
तुम ना डरना हे प्रिये
हमेशा तेरे ही गीत मैं गाऊंगा |
पर प्रिये ऐसा ना हो
मेरी आँखे पानी पी सो जाये |
और मेरे ही आँगन में
तन्हाई जलसा-ओ-दावत मनाये |
मेरी आँखे पानी पी सो जाये |
और मेरे ही आँगन में
तन्हाई जलसा-ओ-दावत मनाये |
देर ना करना अये किन्नू
यहाँ हिज्राँ की बदरी छायी है |
तुम आओगी ऐसा कहके
तेरे यादों की बारात बुलाई है |
यहाँ हिज्राँ की बदरी छायी है |
तुम आओगी ऐसा कहके
तेरे यादों की बारात बुलाई है |
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