हो तो सही

हो तो सही

हम पर कोई निसार हो तो सही I
मोहब्बत का इज़हार हो तो सही I
जां लुटाना चाहते हैं हम इश्क में,
मगर पहले प्यार हो तो सही I
मत भी ले लो बहुमत भी लो,
नेता इमानदार हो तो सही I
जाऊँगा हाल पड़ौसी का पूछने,
उसका भी बंटाधार हो तो सही I
सात पर्दों में कैद कर लिया,
उनका ज़रा दीदार हो तो सही I
दे, तो फिर लेकर दिखा दे,
एक बार उधार हो तो सही I
सब इमानदार हों तो बाँटू लड्डू,
मेरा सपना साकार हो तो सही I
तस्वीर बना दूँ बहते पानी में,
सामने निराकार हो तो सही I
गले लगा लूँ दुश्मन को भी
दोस्तों में शुमार हो तो सही I
खुशियाँ समेटना चाहता हूँ मैं,
गम का दरिया पार हो तो सही I
आंधियां उतावली हैं “चरन”
बागों में बहार हो तो सही I

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