मेरी ज़िंदगी का किस्सा नया है- शायरी

मेरी ज़िंदगी का किस्सा नया है- शायरी

 
1)मेरी ज़िंदगी का किस्सा नया है,
शायद मेरे चश्मे का नंबर नया है ।।
जो कहते हैं समंदर में पानी भरा है,
शायद उनके लिए तालाब नया है ।।
2)वक़्त आँखों से जब नींदे चुरा लेता है,
दर्द आँखों में घरोंदा बना लेता है ।
ज़ख्म यादों के सिरहाने बैठ जाता है ,
माँ की गोद तन्हाई को बना लेता है।।
3)मेरे ख्वाबों का अख्ज है तू,
मेरी रूह का ज़ख्म है तू,
कभी मुस्कान हुआ करती थी मैं,
आज मेरी हर दर्द भरी नज़्म है तू ।।
विक्रमसिंह नेगी
विक्रमसिंह नेगी
भुलाना भी चाहें भुला न सकेंगे
किसी और को दिल में ला न सकेंगे.....
 
भरोसा अगर वो न चाहें तो उन को
कभी प्यार का हम दिला न सकेंगे.......
 
वादा निभायेंगे, वो जानते हैं
कसम हम को झूठी खिला न सकेंगे......
 
क्यों आते नहीं वो है मालूम हम को
नज़र हम से अब वो मिला न सकेंगे......
 
ज़ोर-ए-नशा-ए-निगाह अब नहीं है
मय वो नज़र से पिला न सकेंगे............
 
हकीकत से अपनी वो वाकिफ़ हैं खुद ही
कर हम से अब वो गिला न सकेंगे........
 
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