यमराज ऑन अर्थ
यमराज ऑन अर्थ
पात्र : यमराज और दो यमदूत, कुछ अन्य पात्र स्वसुविधानुसार
रखे जा सकते हैं
पहला दृश्य
यमलोक का सीन, जिसे स्वसुविधानुसार व्यवस्थित किया जा
सकता है।
यमराज एक तरफ अपने सिंहासन पर बैठे हैं। उनके पास दो
यमराज एक तरफ अपने सिंहासन पर बैठे हैं। उनके पास दो
यमदूत खड़े हैं।
यमदूत1 : बॉस, आज आप कुछ परेशान दिखाई दे रहे हैं।
यमराज : हम अब अपने काम से प्रसन्न नहीं हैं।
यमदूत : क्यों बॉस !?
यमराज : दरअसल, पहले अक्सर हमारे पृथ्वीलोक के टूर बनते
यमदूत1 : बॉस, आज आप कुछ परेशान दिखाई दे रहे हैं।
यमराज : हम अब अपने काम से प्रसन्न नहीं हैं।
यमदूत : क्यों बॉस !?
यमराज : दरअसल, पहले अक्सर हमारे पृथ्वीलोक के टूर बनते
रहते थे। कुछ बेहतरीन आत्माओं को लेने हमें स्वयं पृथ्वीलोक
जाना पड़ता था। इससे अच्छा-खासा टी.ए., डी.ए. भी बन
जाता था।
यमदूत1 : हाँ सो तो है बॉस। थोड़ा-बहुत आपके साथ हम
यमदूत1 : हाँ सो तो है बॉस। थोड़ा-बहुत आपके साथ हम
लोगों का कल्याण भी हो जाता था। (फीकी हंसी हंसता है)
यमदूत2 : बॉस, आप तो हमेशा से यह काम कर रहे थे,
यमदूत2 : बॉस, आप तो हमेशा से यह काम कर रहे थे,
तब हाईकमान ने अचानक अब सारा सिस्टम क्यों बदल दिया ?
यमराज : दरअसल, अब एक तो अच्छी आत्माएँ पृथ्वीलोक पर
यमराज : दरअसल, अब एक तो अच्छी आत्माएँ पृथ्वीलोक पर
बहुत कम बची हैं, दूसरे भैंसे से जाने पर हमें बहुत टाइम भी लग
जाता था। कुछ अच्छी आत्माओं ने पिछले दिनों हाइकमान से जब
हमारे भैंसे की स्लो स्पीड के बारे में बताया, तो उन्होंने हमारे भैंसे
को भी नौकरी से हटा दिया। अब उसका सारा खर्चा मुझे ही उठाना
पड़ा रहा है आप लोग तो जानते ही हैं कि अपने भैंसे की डाइट
कितनी हैवी है।
यमदूत1 : यस, सर पर डे दो क्वींटल काजू-बादाम से तो उसका
यमदूत1 : यस, सर पर डे दो क्वींटल काजू-बादाम से तो उसका
ब्रेकफास्ट होता है।
यमराज : खैर, असली बात ये है कि मैंने हाईकमान को एक महीने
यमराज : खैर, असली बात ये है कि मैंने हाईकमान को एक महीने
की छुट्टी की एप्लीकेशन दी है। मैं तुम लोगों के साथ एक महीना
पृथ्वीलोक पर बिताना चाहता हूँ।
यमदूत (दोनों) : रियली सर !
यमराज : यस, डेफिनेटली !
(तभी यमराज के मोबाइल की घण्टी बज उठती है।)
यमराज : हैलो...ओह यस सर...गुड मार्निंग सर...हाँ...हाँ सर...अरे
यमदूत (दोनों) : रियली सर !
यमराज : यस, डेफिनेटली !
(तभी यमराज के मोबाइल की घण्टी बज उठती है।)
यमराज : हैलो...ओह यस सर...गुड मार्निंग सर...हाँ...हाँ सर...अरे
नहीं सर...ऑनली वन मन्थ सर...हाँ...हाँ... जी...ओ के...थैंक्यू,
थैंक्यू सर ! (फोन बन्द करते हुए) हाईकमान का फोन था, वन
मन्थ लीव सैंग्शन हो गई हैं।
यमदूत 1 : वॉऊ ! मजा आ गया सर !
यमराज : तो तैयारी शुरू करो, कल निकलना है।
यमदूत (दोनों) : ओ. के. बॉस !
यमदूत 1 : वॉऊ ! मजा आ गया सर !
यमराज : तो तैयारी शुरू करो, कल निकलना है।
यमदूत (दोनों) : ओ. के. बॉस !
दूसरा दृश्य
(मंच के पीछे पर्दे पर पृथ्वीलोक से जुड़े दृश्य दिखाये जा सकते हैं)
यमराज : यमदूत, हम लोग एक अर्से बाद पृथ्वीलोक पर आये हैं,
यमराज : यमदूत, हम लोग एक अर्से बाद पृथ्वीलोक पर आये हैं,
यहाँ तो सब उलट-पुलट हो गया है।
यमदूत 1 : (अपने दुपट्टे से पसीना पोंछते हुए) यस बॉस, बहुत
यमदूत 1 : (अपने दुपट्टे से पसीना पोंछते हुए) यस बॉस, बहुत
गर्मी भी लग रही है इस बार तो।
यमदूत 2 : बॉस, धूल-धुएँ से इस बार तो साँस लेने में भी प्रॉब्लम
यमदूत 2 : बॉस, धूल-धुएँ से इस बार तो साँस लेने में भी प्रॉब्लम
हो रही हैं।
यमराज : इंसान तो लगता है इस स्वर्ग से भी सुन्दर धरती का
यमराज : इंसान तो लगता है इस स्वर्ग से भी सुन्दर धरती का
कबाड़ा कर के रख दिया।
यमदूत 1 : चारों तरफ कचरे के ढेर और गन्दे नाले दिखाई दे रहे हैं।
यमदूत 1 : चारों तरफ कचरे के ढेर और गन्दे नाले दिखाई दे रहे हैं।
(एक तरफ इशारा करते हुए) ये नाला देखिए बॉस, पिछली बार जब
हम यहाँ आए थे तो यहाँ कोई नदी होती थी, क्या नाम था उसका...
(सोचता है)
यमदूत 2 : यमुना नदी, अरे ये वही नदी है, लेकिन इंसान ने इसमें
यमदूत 2 : यमुना नदी, अरे ये वही नदी है, लेकिन इंसान ने इसमें
इतना कचरा बहाया है कि ये गंदे नाले से भी बद्तर हो गई है।
यमदूत 1 : अरे बाप रे ! इसका मतलब तो इंसान ने सारी नदियों
यमदूत 1 : अरे बाप रे ! इसका मतलब तो इंसान ने सारी नदियों
का ऐसे ही सत्यानाश कर दिया होगा।
यमराज : और क्या, वो देखो...वो गंगा नदी है, देखो इसकी भी क्या
यमराज : और क्या, वो देखो...वो गंगा नदी है, देखो इसकी भी क्या
हालत बना दी इस इंसान ने।
यमदूत 2 : (आश्चर्य से) गंगा !...क्या ये गंगा नदी है !...ये तो
यमदूत 2 : (आश्चर्य से) गंगा !...क्या ये गंगा नदी है !...ये तो
बड़ी कमजोर और मैली दिखाई दे रही है।
यमराज : चलो, आगे चलते हैं, मुझसे गंगा की ऐसी हालत नहीं
यमराज : चलो, आगे चलते हैं, मुझसे गंगा की ऐसी हालत नहीं
देखी जा रही।
यमदूत 1 : चलिए, बॉस चलिए... हम भी गंगा की ऐसी हालत
यमदूत 1 : चलिए, बॉस चलिए... हम भी गंगा की ऐसी हालत
नहीं देख सकते।
(आगे बढ़ते हैं तो कुछ लोग जंगल काटते दिखाई देते हैं।)
यमदूत 2 : अरे बॉस, ये बेवकूफ तो अंधा-धुंध पेड़ों को काटे जा
(आगे बढ़ते हैं तो कुछ लोग जंगल काटते दिखाई देते हैं।)
यमदूत 2 : अरे बॉस, ये बेवकूफ तो अंधा-धुंध पेड़ों को काटे जा
रहे हैं।
यमराज : (दुःख से) हाँ, मैं भी देख रहा हूँ।
यमदूत 1 : लेकिन बॉस कुछ करिए, अन्यथा ये मूर्ख तो इस पूरी
यमराज : (दुःख से) हाँ, मैं भी देख रहा हूँ।
यमदूत 1 : लेकिन बॉस कुछ करिए, अन्यथा ये मूर्ख तो इस पूरी
धरती को ही उजाड़ देंगे।
यमराज : डीयर यमदूतों ! हम कुछ नहीं कर सकते। दरअसल,
यमराज : डीयर यमदूतों ! हम कुछ नहीं कर सकते। दरअसल,
हाईकमान ने चलते हुए हमें सख्त हिदायत दी थी कि पृथ्वीलोक
पर पहुँच कर हम अपनी शक्तियों को प्रयोग न करें। मनुष्य के
किसी भी काम में टाँग न अड़ायें।
यमदूत 2 : लेकिन हम इन्हें ये तो बता सकते हैं कि पेड़ों के
यमदूत 2 : लेकिन हम इन्हें ये तो बता सकते हैं कि पेड़ों के
बिना इसान संकट में पड़ जाएगा।
यमराज : इंसान ये सब जानता है, वह पेड़ों के महत्व को
यमराज : इंसान ये सब जानता है, वह पेड़ों के महत्व को
भली-भांति समझता है, लेकिन थोड़े से लाभ के लिए वह
अमूल्य पेड़ों को कटवाने से नहीं चूकता। ऐसा करके वह
निश्चित रूप से अपने पैरों पर ही कुल्हाड़ी मार रहा है।
आज दिनों-दिन पृथ्वी पर जो मौसम गर्म हो रहा है
उसमें तेजी से कट रहे जंगलों की बहुत बड़ी भूमिका है।
यमदूत 1 : चलिए बॉस, आगे चलते हैं, ये मूर्ख तो धरती को
यमदूत 1 : चलिए बॉस, आगे चलते हैं, ये मूर्ख तो धरती को
उजाड़ कर ही मानेंगे।
(आगे बढ़ते हैं, नेपथ्य से गाड़ियों की, मशीनों की घरघराहट
(आगे बढ़ते हैं, नेपथ्य से गाड़ियों की, मशीनों की घरघराहट
आदि की आवजें आती हैं।)
यमदूत 1 : मेरा तो दर्द के मारे सर फटा जा रहा है।
यमदूत 2 : मुझे तो इस धूल-धुएँ से चक्कर आ रहे हैं,
यमदूत 1 : मेरा तो दर्द के मारे सर फटा जा रहा है।
यमदूत 2 : मुझे तो इस धूल-धुएँ से चक्कर आ रहे हैं,
लगता है वॉमिटिंग हो जाएगी।
(सिर पकड़ के एक तरफ बैठ जाता है और उल्टियाँ करने का
(सिर पकड़ के एक तरफ बैठ जाता है और उल्टियाँ करने का
अभिनय करता है। थोड़ी देर में यमदूत-1 सहारा देकर उठाता है।)
तभी यमराज के मोबाइल की घण्टी बजती है।
यमराज : हैलो...ओह ! गुडमार्निंग सर...हाँ सर, सुना तो
यमराज : हैलो...ओह ! गुडमार्निंग सर...हाँ सर, सुना तो
मैंने भी है...अच्छा सर, ओ के...ओ. के. सर।
यमदूत 2 : किसका फोन था बॉस ?
यमराज : स्वर्गलोक से हाईकमान का फोन था, कह रहे थे कि
यमदूत 2 : किसका फोन था बॉस ?
यमराज : स्वर्गलोक से हाईकमान का फोन था, कह रहे थे कि
पृथ्वीलोक पर स्वाइन फ्ल्यू नाम की महामारी फैली हुई है, अतः
हम लोग जल्दी वापस यमलोक लौट आएं और साथ ही अपना
पूरा चैकअप कराके सर्टिफिकेट भी साथ लाएँ। (थके और उदास
स्वर में) यमदूतों ! हमें पृथ्वी पर आये कितना टाइम हो गया ?
यमदूत 1 : आई थिंक, टू डेज़ सर !
यमराज : ऑनली टू डेज़ ! लगता ऐसा है जैसे महीनों गुज़र गए
यमदूत 1 : आई थिंक, टू डेज़ सर !
यमराज : ऑनली टू डेज़ ! लगता ऐसा है जैसे महीनों गुज़र गए
हैं। धरती का जो हाल है उससे अब और समय यहाँ बिताना हमारे
लिए खतरे से खाली नहीं रहेगा। वॉट यू थिंक ?
यमदूत 2 : (थके स्वर में) यू आर राइट सर ! मेरे ख्याल से हमें
यमदूत 2 : (थके स्वर में) यू आर राइट सर ! मेरे ख्याल से हमें
यमलोक वापस चलना चाहिए।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें