अपने लफ़्ज़ों से चुकाया है किराया इसका,
अपने लफ़्ज़ों से चुकाया है किराया इसका,
दिलों के दरमियां यूँ मुफ्त में नहीं रहती,
साल दर साल मै ही उम्र न देता इसको,
तो ज़माने में मोहब्बत जवां नहीं रहती…
काश फिर वो मिलने कि वजह मिल जाएँ …
साथ वो बिताया , वो पल मिल जाये
चलो अपनी अपनी आँखें बंद कर लें
क्या पता खाव्बों मैं गुजरा हुआ कल मिल जाएँ
दिलों के दरमियां यूँ मुफ्त में नहीं रहती,
साल दर साल मै ही उम्र न देता इसको,
तो ज़माने में मोहब्बत जवां नहीं रहती…
काश फिर वो मिलने कि वजह मिल जाएँ …
साथ वो बिताया , वो पल मिल जाये
चलो अपनी अपनी आँखें बंद कर लें
क्या पता खाव्बों मैं गुजरा हुआ कल मिल जाएँ
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें