अपने लफ़्ज़ों से चुकाया है किराया इसका,

अपने लफ़्ज़ों से चुकाया है किराया इसका, 
दिलों के दरमियां यूँ मुफ्त में नहीं रहती, 
साल दर साल मै ही उम्र न देता इसको, 
तो ज़माने में मोहब्बत जवां नहीं रहती…


विक्रमसिंह नेगी

काश फिर वो मिलने कि वजह मिल जाएँ …
साथ वो बिताया , वो पल मिल जाये 
चलो अपनी अपनी आँखें बंद कर लें 
क्या पता खाव्बों मैं गुजरा हुआ कल मिल जाएँ

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