जख्म जब मेरे सीने के भर जायेंगें

जख्म जब मेरे सीने के भर जायेंगें …. 
आसूं भी मोती बन कर बिखर जायेंगें …. 
ये मत पूछना किस-किस ने धोखा दिया …. 
वर्ना कुछ अपनों के चेहरे उतर जायेंगें



विक्रमसिंह नेगी


लम्हों की खुली किताब हैं ज़िन्दगी …. 
ख्यालों और सांसों का हिसाब हैं ज़िन्दगी …. 
कुछ ज़रूरतें पूरी ,कुछ ख्वाहिशें अधूरी ….. 
इन्ही सवालों के जवाब हैं ज़िन्दगी

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