नींद आई तो तेरी याद ने सोने न दिया!

 सदियों से जागी आँखों को एक बार सुलाने आ जाओ
; माना कि तुमको प्यार नहीं, नफ़रत ही जताने आ जाओ;
 जिस मोड़ पे हमको छोड़ गए हम बैठे अब तक सोच रहे;
 क्या भूल हुई क्यों जुदा हुए, बस यह समझाने आ जाओ।

विक्रमसिंह नेगी

गम ने हसने न दिया, ज़माने ने रोने न दिया!
 इस उलझन ने चैन से जीने न दिया!
 थक के जब सितारों से पनाह ली!
 नींद आई तो तेरी याद ने सोने न दिया!

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