तेरी नाराज़गी में भी मुहब्बत है..

तेरी नाराज़गी में भी मुहब्बत है.. ये लोग क्या जाने..
तेरी सजा में भी एक मज़ा है.. ये लोग क्या जाने..
कहते हो के बात नहीं करोगे मुझसे
बात करने को तो तुम भी तड़पते हो.. ये लोग क्या जाने..
 करते हो मुहब्बत मुझसे बेपनाह तुम भी..
पर छुपाना भी तुम्हारी एक अदा है ये लोग क्या जाने"..

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