यूँ कभी तबाही का जश्न मना लेते हैं,,,

यूँ कभी तबाही का जश्न मना लेते हैं,,,
अपनी पलकों पे सितारों को सजा लेते हैं,,,
तुम तो अपने थे ज़रा हाथ बढाया होता,,,
गैर भी डूबने वाले को बचा लेते हैं...

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सुबह होते ही जब दुनिया आबाद होती है;