गिले कागज कि तरह हे मेरी ज़िंदगी,
गिले कागज कि तरह हे मेरी ज़िंदगी,
कोइ जलाता भी नही और कोई बहाता भी नही.
ऐसे अकेले हो गए हे हम आज-कल
कोई सताता भी नही और कोई मनाता भी नही...
कोइ जलाता भी नही और कोई बहाता भी नही.
ऐसे अकेले हो गए हे हम आज-कल
कोई सताता भी नही और कोई मनाता भी नही...
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें