तन्हाई सी थी दुनिया की भीड़ में!
तन्हाई सी थी दुनिया की भीड़ में!
सोचा कोई अपना नहीं तकदीर में!
एक दिन जब दोस्ती की आप से तो यूँ लगा!
कुछ ख़ास था मेरे हाथ की लकीर में!
सोचा कोई अपना नहीं तकदीर में!
एक दिन जब दोस्ती की आप से तो यूँ लगा!
कुछ ख़ास था मेरे हाथ की लकीर में!
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