दोस्त मिलते हैं यहाँ दिल को दुखाने के लिए,,
दोस्त मिलते हैं यहाँ दिल को दुखाने के लिए,,
उँगलियाँ रखते हैं वो हम पे उठाने के लिए,,
क्या कसूर उनका है ये रस्म चली आई है
तोहमते होती ही हैं दुनियां में लगाने के लिए,,.
उँगलियाँ रखते हैं वो हम पे उठाने के लिए,,
क्या कसूर उनका है ये रस्म चली आई है
तोहमते होती ही हैं दुनियां में लगाने के लिए,,.
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