कब्र की मिटटी उठा ले गया कोई

कब्र की मिटटी उठा ले गया कोई,
इसी बहाने हमें छु कर चला गया कोई,
तन्हाई और अंधेरो में खुश थे हम,
फिर से इंतज़ार करने की वजाह दे गया कोई ।

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